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Why delay Silkyara Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड सुरंग हादसे को बीते 7 दिन, टनल में फसें 40 मजदुर, क्यों रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी?
उत्तरकाशी में मलबे में ऑगर मशीन की मदद से 24 मीटर लंबे पाइप डाले गए हैं. सुरंग में पिछले 130 घंटों से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जानें कैसे चल रहा है रेस्क्यू ऑपरेशन.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा टनल का एक हिस्सा ढह गया है. टनल के अंदर करीब 40 मजदूर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. उन्हें बाहर निकालने के लिए ‘एस्केप टनल’ बनाने की कोशिशें 130 घंटे से ज्यादा समय से चल रही हैं. शुक्रवार को बचाव दल द्वारा लाई गई बेहद शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन मलबे में 24 मीटर तक भेद दिया हैं.
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Why delay Silkyara Tunnel Rescue Operation: टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बैकअप के तौर पर इंदौर से अमेरिकी मशीन जैसे उपकरण मंगाए जा रहे हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के एक अधिकारी ने उन ख़बरों को खारिज कर दिया कि अमेरिकी मशीन में तकनीकी समस्याओं के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है।
इंदौर से मशीन बैकअप के लिए ही लाई जा रही है। (NHIDCL) के निदेशक अंशू मनीष खलको (Anshu Manish Khalko) ने बताया कि मलबे में ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाले जा चुके हैं, जबकि पांचवें पाइप को डालने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि चौथे पाइप का आखिरी दो मीटर हिस्सा ही बाहर रखा है ताकि पांचवें पाइप को अच्छी तरह से जोड़कर अंदर डाला जा सके.
ड्रिलिंग मशीनें भी पैदा कर सकती हैं खतरा
जब उनसे पूछा गया कि मशीन प्रति घंटे चार-पांच मीटर मलबे को भेदने की अपनी अपेक्षित गति क्यों हासिल नहीं कर सकी, तो उन्होंने कहा कि पाइप डालने से पहले उन्हें संरेखित करने और जोड़ने में समय लगता है। अंशु मनीष ने यह भी दावा किया कि ड्रिलिंग मशीन की गति धीमी है क्योंकि यह डीजल पर चलती है। उन्होंने कहा कि कुछ समय के बाद ड्रिलिंग बंद करनी पड़ती है क्योंकि भारी मशीन में कंपन के कारण मलबा गिरने का खतरा हो सकता है.
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इस वजह से ‘रेस्क्यू ऑपरेशन’ लग रहा है समय
Why delay Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: NHIDCL के निदेशक अंशू मनीष खल्को ने कहा, ‘हम एक रणनीति के साथ काम कर रहे हैं लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बीच में कुछ भी गलत न हो। बैकअप प्लान के तौर पर इंदौर से हवाई मार्ग से एक और ऑगर मशीन घटनास्थल पर लाई जा रही है ताकि बचाव अभियान निर्बाध रूप से जारी रह सके. इससे पहले मंगलवार रात को छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, लेकिन भूस्खलन और मशीन में तकनीकी खराबी के कारण काम को रोकना पड़ा।
वायुसेना भी जुटी ऑपरेशन में
25 टन वजनी एक बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी बरमा मशीन को भारतीय वायु सेना के सी-130 हरक्यूलिस विमान के माध्यम से दो भागों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाया गया, जिसके चलते गुरुवार को फिर से ड्रिलिंग शुरू की गई।
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टनल में खाने-पीने का सामान पहुंचाया जा रहा है
मौके पर बचाव कार्य की निगरानी कर रहे विशेषज्ञ आदेश जैन ने बताया कि बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए अमेरिकन ऑगर मशीन बुलाई गई। उन्होंने बताया कि पुरानी मशीन की प्रवेश क्षमता 45 मीटर तक मलबे को भेदने की थी, जबकि ऊपर से लगातार मलबा गिरने के कारण यह 70 मीटर तक फैल चुका है। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे मजदूरों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. और पाइप के जरिए उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी लगातार पहुंचाया जा रहा है.
मजदूरों से लगातार हो रही है बात-चीत
मजदूरों से लगातार बात-चीत हो रही है और समय-समय पर उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है. इस बीच झारखंड सरकार की एक टीम अपने श्रमिकों का हालचाल लेने के लिए मौके पर पहुंची. आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने पाइप के जरिए झारखंड के मजदूर विश्वजीत और सुबोध से बात की और उनका हालचाल जाना.
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सुरंग के पास बनाए गए हैं अस्थायी अस्पताल
उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने बताया कि सुरंग के पास छह बिस्तरों वाला अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीमें भी तैनात हैं ताकि मजदूरों के बाहर आने पर उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता मुहैया कराई जा सके.
कैसे हुई दुर्घटना?
चारधाम परियोजना के तहत सिलक्यारा के मुहाने से 270 मीटर अंदर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया, जिसके बाद इसमें फंसे 40 मजदूरों को बचाने की कोशिश की जा रही है.
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