Neem Ke Kya Fayde Hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान

नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान

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Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान

नीम के पेड़ से शायद ही कोई अपरिचित हो। नीम को उसके कड़वेपन के कारण जाना जाता है। सभी लोगों को पता होगा कि कड़वा होने के बाद भी नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक है, लेकिन नीम के फायदे क्या-क्या हैं या नीम का प्रयोग किन रोगों में करें, आपको इस बात की पूरी जानकारी नहीं होगी। आमतौर पर हम नीम का उपयोग घाव, चर्म रोग में फायदा लेने के लिए करते हैं लेकिन सच यह है नीम के फायदे अन्य कई रोगों में भी मिलते हैं।

नीम के पत्ते का काढ़ा घावों को धोने में कार्बोलिक साबुन से भी अधिक उपयोगी है। कुष्ठ आदि चर्म रोगों पर भी नीम बहुत लाभदायक है। इसके रेशे-रेशे में खून को साफ करने के गुण भरे पड़े हैं। नीम का तेल टीबी या क्षय रोग को जन्म देने वाले जीवाणु की तीन जातियों का नाश करने वाले गुणों से युक्त पाया गया है। नीम की पत्तियों का गाढ़ा लेप कैंसर की बढ़ाने वाली कोशिकाओं की बढ़ने की क्षमता को कम करता है। जानें कि आप किन-किन रोगों में नीम का प्रयोग कर सकते है और इसके नुकसान क्या-क्या होते हैं।

Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
What is Neem in Hindi?

नीम क्या है? What is Neem in Hindi?

नीम भारतीय मूल का एक पूर्ण पतझड़ वृक्ष है जो 15-20 मीटर (लगभग 50-65 फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। कभी-कभी यह 35-40 मीटर (115-131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है। इसकी शाखाएं यानी डालियाँ काफी फैली हुई होती हैं। तना सीधा और छोटा होता है और व्यास में 1.2 मीटर तक पहुँच सकता है।

इसकी छाल कठोर एवं दरारयुक्त होती है और रंग सफेद-धूसर या लाल, भूरा भी होता है। 20-40 सेमी लंबी पत्तियों की लड़ी होती है जिनमें, लगभग 20 से 30 गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। और इसके फूल सफेद और सुगन्धित होते हैं। इसका फल चिकना तथा अंडाकार होता है और इसे निबौली कहते हैं। फल का छिलका पतला तथा गूदे तथा रेशेदार, सफेद पीले रंग का और स्वाद में कड़वा-मीठा होता है। इसकी गुठली सफेद और कठोर होती है जिसमें एक, दो या कई बार तीन बीज भी होते हैं।

नीम के फायदे और उपयोग (Neem ke Fayde aur Upyog)

नीम को निम्ब भी कहा जाता है। कई ग्रन्थों में वसन्त-ऋतु (विशेषतः चैत्र मास मतलब 15 मार्च से 15 मई) में नीम के कोमल पत्तों के सेवन की विशेष प्रंशसा की गई है। इससे खून साफ होता है तथा पूरे साल बुखार, चेचक आदि भयंकर रोग नहीं होते हैं। विभिन्न रोगों में नीम का प्रयोग करने की विधि नीचे दी जा रही हैः-

Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
Neem ke Fayde aur Upyog

बालों की समस्याओं के लिए नीम का उपयोग (Uses of Neem for hair problems)

नीम बालों के लिए बेहद लाभदायक है। बाल झड़ने से लेकर बालों के असमय सफ़ेद होने जैसी बालों की समस्याओं में इसका उपयोग किया जा सकता है।

  • नीम के बीजों को भांगरा के रस एवं असन पेड़ की छाल के काढ़े में भिगो कर छाया में सुखा दें। कई बार ऐसा करें। इसके बाद इनका तेल निकाले और नियमानुसार दो-दो बूँद नाक में डालें। इससे असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं। इसके दौरान केवल दूध और भात यानी पके हुए चावल ही खाने चाहिए।
  • नीम के बीज के तेल को नियमपूर्वक 2-2 बूँद नाक में डालने से सफेद बाल काले हो जाते है। इस दौरान केवल गाय का दूध ही भोजन के रूप में लेना होता है।
  • नीम के पत्ते एक भाग तथा बेर पत्ता एक भाग को अच्छी तरह पीस लें। इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर 1-2 घंटे बाद धो डालें। इससे भी बाल काले, लंबे और घने होते हैं।
  • नीम के पत्तों को पानी में मिलाकर अच्छी तरह उबालकर ठंडा करें। इस पानी से सिर को धोने से बाल मजबूत होते हैं, बाल झड़ने रुक जाते है। इसके अतिरिक्त सिर के कई रोगों में लाभ होता है।
  • सिर में बालों के बीच छोटी-छोटी फुन्सियां हों, उनसे पीव निकलता हो या केवल खुजली होती हो तो नीम का प्रयोग बेहतर परिणाम देता है। ऐसे अरूंषिका तथा क्षुद्र रोग में सिर तथा बालों को नीम के काढ़े से धोने के बाद रोजाना नीम का तेल लगाने से लाभ होता है।
  • नीम के बीज पीसकर लगाने से या पत्तों के काढ़े से सिर धोने से बालों में मौजूद जुँए और लीखें ख़त्म हो जाती हैं।
Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
Use of Neem for headache relief

सिरदर्द से राहत के लिए नीम का प्रयोग (Use of Neem for headache relief)

नीम के सूखे पत्ते, काली मिर्च और चावल को समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनायें। सूर्योदय से पहले सिर के जिस जगह दर्द हो, उसी तरफ की नाक में इस चूर्ण को एक चुटकी भर नाक में डालें। और आधासीसी (अधकपारी) के दर्द यानी माइग्रेन में जल्द लाभ होता है।
नीम तेल ललाट (माथे) पर लगाने से सिर का दर्द ठीक होता है।

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नकसीर (नाक से खून बहना) रोकने के लिए नीम का प्रयोग (Use of Neem to stop nose bleeding)

नीम की पत्तियां और अजवायन को बराबर मात्रा में पीस ले। इसे कनपटियों पर लेप करने से नाक से खून बहना यानी नकसीर बन्द होता है।

कान की समस्याओं (कान का बहना) के उपचार में नीम का उपयोग (Use of Neem in the treatment of ear problems)

नीम से कानों की बीमारियों का भी उपचार किया जा सकता है।

  • नीम के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में मधु (शहद) मिला लें। इसे 2-2 बूँद सुबह-शाम कान में डालने से लाभ होता है। पहले कान को अच्छी तरह से साफ कर लें।
  • कान से पीव निकलती हो तो नीम के तेल में शहद मिला लें। इसमें रूई की बत्ती भिगोकर कान में रखने से लाभ होता है।
  • नीम तेल 40 मिली तथा 5 ग्राम मोम को आग पर गर्म करें। मोम गल जाने पर उसमें फूलाई हुई फिटकरी का 750 मिग्रा चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर शीशी में रख लें। इस मिश्रण की 3-4 बूँद दिन में दो बार डालने से कान का बहना बन्द होता है।
  • नीम के पत्ते के 40 मिली रस को 40 मिली तिल के तेल में पकाएं। तेल मात्र शेष रहने पर छान कर 3-4 बूँद कान में डालें। कान का बहना बंद हो जाएगा।

नीम का इस्तेमाल आँखोंं के रोगों के लिए फायदेमंद (Use of Neem to cure eye problems)

नीम का उपयोग आँखोंं के दर्द, खुजली, लाली जैसे कई रोगों में भी फायदेमंद है।

Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
Use of Neem to cure eye problems
  • जिस आँख में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गुनगुना कर 2-2 बूँद टपकाएं। दोनों आँखों में दर्द हो तो दोनों कान में टपकाएं। दर्द समाप्त हो जाएगा।
  • नीम के पत्ते और लोध्र के बराबर चूर्ण को पोटली में बाँधकर उस पोटली को पानी में डाल दें। इस पानी की 2-3 बूंदें आँखोंं में डालने से आँखोंं की दर्द और सूजन जैसी समस्या से आराम मिलता हैं।
  • यदि आँखोंं के ऊपर सूजन के साथ ही दर्द हो और अन्दर खुजली होती हो तो नीम के पत्ते तथा सोंठ को पीसकर थोड़ा सेंधा नमक मिला लें। इसे हल्का गर्म कर लें। एक कपड़े की पट्टी पर इसे रखकर आँखोंं पर बाँधें। 2-3 दिन में आँखोंं का यह रोग दूर हो जाता है। इस समय ठंडे पानी एवं ठंढ़ी हवा से आँखोंं को बचाना चाहिए। अच्छा होगा कि यह प्रयोग रात को करें।
  • आधा किलोग्राम नीम के पत्तों को मिट्टी के दो बर्तनों के बीच में रख कंडो की आग में डाल दें। ठण्डा होने पर अन्दर की राख को 100 मिली नींबू रस में मिलाकर सुखा लें। इसे किसी एयरटाइट (जिसमें हवा ना जा सके) बोतल में भर कर रख लें। इस राख को काजल की तरह आँखोंं में लगाने से आँखोंं की खुजली तथा जलन में लाभ होता है।
  • 50 ग्राम नीम के पतों को पानी के साथ महीन पीसकर टिकिया बनाकर सरसों के तेल में पकाएं। जब वह जलकर काली हो जाय तब उसे उसी तेल में मिलाकर उसमें दसवां भाग कपूर तथा दसवां हिस्सा कलमी शोरा मिला लें। इसे खूब घोंटकर कांच की शीशी में भर कर रख लें। इसे रात के समय आँख में काजल की तरह लगाएँ और सुबह त्रिफला के पानी से आँखोंं को धोएं। इससे आँखोंं की खुजली, जलन, लालिमा आदि दूर होती है और आँखोंं की रौशनी बढ़ती है।
  • नीम की 20 कोंपलें, जस्ता भस्म 20 ग्राम, 6 लौंग, 6 छोटी इलायची और मिश्री 20 ग्राम को मिला लें। इसे खूब महीन पीस छानकर काजल बनायें। इसे सुबह-शाम सलाई की सहायता से आँखोंं में लगाये, आँखों की सभी प्रकार की समस्याएँ दूर होते हैं और आँखोंं की रौशनी भी बढ़ जाती है।
  • दस ग्राम साफ रूई को फैला लें। इस पर नीम के 20 सूखे पत्ते बिछाकर एक ग्राम कपूर का चूर्ण छिड़क कर रूई को लपेट कर बत्ती बना लें। इस बत्ती को 10 ग्राम गाय के घी में भिगोकर, जला लें। इससे काजल बना लें। इस काजल को रात के समय आँखोंं में लगाने से पानी गिरना, लाली आदि आँखोंं के रोग दूर होते हैं। यह बच्चों के लिए और भी गुणकारी है।
  • वमनी अथवा सलाक रोग में आँखोंं की पलकें मोटी हो जाती हैं, खुजली होती है, बरौनी झड़ जाती है तथा पलकों के किनारे लाल हो जाते हैं। इस रोग में नीम के पत्तों के रस को पका कर गाढ़ा कर लें। इसे ठंडा करके काजल के रूप में लगाते रहने से लाभ होता है।
  • नीम के बीज की मींगी का चूर्ण नित्य (1-2 सलाई) आँखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिंद जैसी समस्या से लाभ मिलता है।
  • नीम के फूलों को छाया में सुखाकर बराबर भाग कलमी शोरा मिलाकर महीन पीसकर कपड़े से छान लें। इसको आँखोंं में काजल की तरह लगाने से आँख की फूली यानी मोतियाबिन्द, धुंध, जाला इत्यादि रोगों में लाभ होता है और आँखोंं की ज्योति बढ़ती है।
  • रतौंधी में नीम के कच्चे फल का दूध आँखों में काजल की तरह लगाएं, आपको निश्चित लाभ मिलेगा।

नीम का उपयोग दांतों के रोगों में फायदेमंद (Use of Neem in the treatment of dental diseases)

अत्यंत प्राचीन काल से ही नीम दातुन यानी दाँतों को साफ करने के लिए नीम की दातुन का प्रयोग होता रहा है। नीम की दातुन करने से दांत संबंधित रोग नहीं होते हैं।

  • नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम, सोना गेरू 50 ग्राम तथा सेंधा नमक 10 ग्राम, इन तीनों को मिला कर खूब महीन पीस लें। इसे नीम के पत्ते के रस में भिगो कर छाया में सुखा दें। यह एक भावना हुई। ऐसी ही तीन भावनायें देकर और सुखाकर शीशी में रख लें। इस चूर्ण से दाँत मंजन करने से दाँतों से खून निकलना, पीव निकलना, मुंह के छाले, मुंह से दुर्गन्ध आना, मिचली आदि समस्याएं दूर होती हैं।
  • 100 ग्राम नीम की जड़ को कूट कर आधा लीटर पानी में एक चौथाई शेष रहने तक उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से दांतों के अनेक रोग दूर होते हैं।

टीबी (क्षय रोग) में फायदेमंद है नीम का सेवन (Neem Benefits in Tuberculosis)

नीम के तेल की चार बूँदों को कैप्सूल में भरकर दिन में 2-3 बार उपयोग करने से टी.बी. जैसे रोग से आराम मिलता है।

दमा रोग में फायदेमंद नीम का उपयोग (Neem Benefits in Asthma)

पांच-छः बूँद शुद्ध नीम बीज के तेल को पान में डाल कर खाने से दम फूलना, सांस सबंधी रोगों में फायदा मिलता है।

पेट के कीड़ों के इलाज में नीम है फायदेमंद (Benefits of Neem in Treating Stomach Worms)

नीम के उपयोग से पेट के रोग भी ठीक हो सकते है।

  • नीम की छाल, इन्द्रजौ और वायबिडंग को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 1.5 ग्राम मात्रा में चौथाई ग्राम भुनी हींग मिला लें। इस मिश्रण को शहद में मिलाकर दिन में दो बार उपयोग करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
  • बैंगन या किसी और सब्जी के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।और पढ़ें – ईएसआर रेट लो करने में नीम फायदेमंद
  • नीम के पत्तों का रस निकालकर 5 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते है।
Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
Uses of Neem, Neem Benefits

पेट दर्द के इलाज में नीम का उपयोग (Benefits of Neem in the treatment of stomach pain)

40-50 ग्राम नीम की छाल को जौ के साथ कूटकर 400ml जल में पकाएं और इसमें 10 ग्राम नमक डाल दें। और आधा बचने के बाद उसे गुनगुना कर पीने से पेटदर्द से आराम होता है।

दस्त में नीम का प्रयोग फायदेमंद (Use of Neem is beneficial in diarrhea)

नीम के उपयोग से दस्त की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता हैं।

  • नीम की 50 ग्राम अंदर की छाल को मोटा कूट कर 300 मिली पानी में आधा घंटे उबालकर छान लें। इसी छनी हुई छाल को फिर 300 मिली पानी में उबालें। 200 मिली शेष रहने पर छानकर शीशी में भर लें और इसमें पहले छना हुआ पानी भी मिला दें। इसे रोगी को 50ml दिन में तीन-चार बार पिलाने से दस्त बन्द हो जाता है।
  • 125-250 मिग्रा नीम की अंदर की छाल की राख को 10 मिली दही के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे आमातिसार यानी आँव वाले दस्त में लाभ होता है।
  • रोजाना सुबह तीन-चार पकी हुई निबौलियां खाने से खूनी पेचिश ठीक होता है और भूख भी अच्छी लगती है।
  • 10 ग्राम नीम के पत्ते के साथ 1.5 ग्राम कपूर मिलाक लें। इसे पीसकर सेवन करने से हैजा में लाभ होता है।

एसिडिटी की समस्या में नीम के फायदे (Neem Benefits in Acidity Problem)

  • नीम की सींक, धनिया, सोंठ और शक्कर सभी 6-6 ग्राम को एक साथ मिला लें। इसका काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से खट्टी डकारें, अपच तथा अत्यधित प्यास लगने की समस्या दूर होते हैं।
  • पित्त यानी एसिडिटी के कारण होने वाले बुखार में भी यह प्रयोग लाभकारी है।
  • नीम पंचांग का महीन चूर्ण एक भाग, विधारा चूर्ण 2 भाग तथा सत्तू 10 भाग तीनों को मिलाकर रखें। उचित मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।

उल्टी रोकने के लिए नीम फायदेमंद (Benefits of Neem to stop vomiting)

  • नीम की 7 सीकों को 2 बड़ी इलायची और 5 काली मिर्च के साथ महीन पीस लें। इसे 250 मिली पानी के साथ मिलाकर पीने से उलटी बन्द होती है।
  • 5-10 मिग्रा नीम की छाल के रस में शहद मिलाकर पिलाने से उलटी और अरुचि आदि में फायदा मिलता है।
  • 20 ग्राम नीम के पत्तों को 100 मिली पानी में पीसकर, छान लें। इसे 50 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से उलटी तथा अरुचि में लाभ होता है।
  • 8-10 नीम के कोमल पत्तों को देशी घी में अच्छी तरह भूनकर खाने से भोजन से होने वाली अरुचि दूर होती है।

बवासीर के इलाज में नीम का उपयोग (Use of Neem in the treatment of piles)

  • 50 मिली नीम तेल, 3 ग्राम कच्ची फिटकरी तथा 3 ग्राम सुहागा को महीन पीसकर मिला दें। शौच-क्रिया में धोने के बाद इस मिश्रण को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाएं। इससे कुछ ही दिनों में बवासीर ठीक होता है।
  • नीम और बकायन के बीजों की सूखी गिरी, छोटी हरड़, शुद्ध रसौत पचास-पचास ग्राम, घी में भूनी हींग 5 ग्राम लें। इन सबका महीन चूर्ण बनायें। इसमें 50 ग्राम बीज निकाले हुए मुनक्का को पीसकर 500 मिग्रा की गोलियां बना लें। 1-2 गोली को दिन में 2 बार बकरी के दूध या ताजे पानी के साथ सेवन करने से सब प्रकार के बवासीर में लाभ होता है। खून गिरना बंद होता है और दर्द भी समाप्त होता है।
  • छिलके सहित कूटी हुई सूखी निबौरी के 1-2 ग्राम महीन चूर्ण को सुबह खाली पेट सेवन करने से बवासीर के रोगी को बहुत लाभ होता है। इसे रात के रखे पानी के साथ सेवन करना है। इसके सेवन के दौरान घी का प्रयोग अवश्य करें, अन्यथा आँखोंं की रोशनी प्रभावित हो सकती है।
  • नीम के बीज की गिरी, एलुआ और रसौत को बराबर मात्रा में मिलाकर खरल कर गोलियां बना लें। सुबह एक गोली छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
  • नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और जड़ की छाल 200 ग्राम को पीस लें। इसकी 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली को दिन में 4 बार सात दिन तक खिलाएं। इसके साथ ही नीम के काढ़े से मस्सों को धोएं या पत्तों को पीस कर मस्सों पर बाँधें। बवासीर में निश्चित लाभ होगा।
  • 100 ग्राम सूखी निबौली को 50 मिली तिल के तेल में तलकर पीस लें। बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ नीला थोथा और इस चूर्ण को मिलाकर मलहम बना लें। इसे दिन में 2-3 बार बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से खत्म हो जाते हैं।
  • नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम, फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3 ग्राम को पीस लें। इससे मलहम जैसा बना लें। यदि मलहम जैसा न बने तो उसमें थोड़ा घी या मक्खन अथवा गिरी का तेल मिला कर घोटना चाहिए। इसे लगाने से मस्सों का दर्द तत्काल दूर होता है। खून बहना बन्द होता है एवं मस्से मुरझा जाते हैं। इस प्रयोग में कपूर मिला कर एरंड के तेल में भी मलहम बनाया जा सकता है।
  • 50 ग्राम कपूर तथा 50 ग्राम नीम के बीज के गिरी का तेल को मिला लें। इसे थोड़ी मात्रा में मस्सों पर लगाते रहने से लाभ होता है।

पीलिया के इलाज में नीम का उपयोग (Use of Neem in treatment of jaundice)

  • नीम पंचांग के एक ग्राम महीन चूर्ण में 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद मिला लें। इसके उपयोग से शरीर में खून की कमी को दूर होती है और पीलिया ठीक होता है। यदि घी और शहद किसी को अच्छा न लगता हो तो एक ग्राम पंचांग चूर्ण को गाय के पेशाब या पानी या गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं।
  • नीम की सींक 6 ग्राम और सफेद पुनर्नवा की जड़ 6 ग्राम को पानी में पीस कर छान लें। कुछ दिनों तक पिलाते रहने से पीलिया में लाभ होता है।
  • नीम का पत्ता, गिलोय का पत्ता, गूमा (द्रोणपुष्पी) का पत्ता और छोटी हरड़ (सभी 6-6 ग्राम) लेकर सभी को कूट लें। इसे 200 मिली पानी में पकाएं। 50 मिली शेष रहने पर छान लें। इसे 10 ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया में विशेष लाभ होता है। इस काढ़े के सेवन से पहले 200 मिग्रा शिलाजीत को 6 ग्राम मधु के साथ चाट लें।
  • पित्त की नली में रुकावट होने के कारण पीलिया रोग हो जाए तो 15-20ml नीम के पते के रस में, 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण और 6 ग्राम शहद मिलायें। और इसे तीन दिन सुबह खाली पेट पीने से लाभ होता है। दवा लेते समय घी, तेल, चीनी व गुड़ का प्रयोग नहीं करें। खाने में दही-भात लें।
  • सुखे हुए नीम के पत्ते, नीम के जड़ की छाल, फूल और फल को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण को एक ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार घी व शहद में मिलाकर अथवा गाय के पेशाब या गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करें। पीलिया रोग ठीक होगा।
  • 10ml नीम के पत्ते के रस में 10ml अडूसा के पत्ते का रस और 10 ग्राम शहद मिलायें। इसे सुबह-सुबह खाली पेट उपयोग करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • 20 मिली नीम के पत्ते के रस में थोड़ी चीनी मिलाकर, थोड़ा गरम कर सेवन करें। दिन में एक बार तीन दिन तक सेवन करने से भी लाभ हो जाता है।
  • नीम के पांच-छः कोमल पत्तों को पीसकर, शहद में मिलाकर उपयोग करने से भी पीलिया, पेशाब संबंधित रोग और इसके साथ ही पेट के रोगों में भी लाभ होता है।
  • 10ml नीम के पत्ते के रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पांच-छः दिन पीने से पीलिया में बेहद लाभ होता है।

गुर्दे की पथरी के लिए नीम का उपयोग (Use of Neem for kidney stones)

  • नीम के पत्तों की 500 मिग्रा राख को कुछ दिनों तक लगातार जल के साथ सेवन करें। इसे दिन में 3 बार खाने से पथरी टूटकर निकल जाती है।
  • दो ग्राम नीम के पत्तों को 50 से 100 मिली तक पानी में पीस-छानकर डेढ़ मास तक पिलाते रहने से पथरी टूटकर निकल जाती है। इसे सुबह, दोपहर तथा शाम लेना होता है।

स्तन के घावों को ठीक करने में नीम का उपयोग (Use of Neem in healing breast wounds)

50 मिली सरसों के तेल में 25 ग्राम नीम के पत्ते को पकाकर घोट लें। नीम के पत्ते के काढ़े से घाव को धोकर पोछ लें। उसके बाद राख मिला तेल लगा दें तथा कुछ सूखी राख ऊपर से लगाकर पट्टी बाँध दें। 2-3 दिन में काफी आराम हो जाता है। इसके बाद रोज नीम के काढ़े से धोकर नीम तेल लगाते रहें। घाव तुरंत भरकर सूख जाएगा।

योनि दर्द से राहत दिलाता है नीम का उपयोग (Use of Neem in relieving vaginal pain)

  • कई बार स्त्रियों को योनि में दर्द हो जाता है। नीम की गिरी को नीम के पत्ते के रस में पीसकर गोलियां बना लें। गोली को कपड़े के भीतर रखकर सिल लें (इसमें एक डोरा लटकता रहे)। रोज एक गोली योनिमार्ग में रखने से दर्द में आराम होता है।
  • नीम के बीजों की गिरी, एरंड के बीजों की गिरी तथा नीम के पत्ते का रस को बराबर मात्रा में मिला लें। इसकी बत्ती बनाकर योनि में डालने से योनि का दर्द ठीक होता है।
  • नीम के छाल को अच्छी तरह से धोकर, उस पानी में रूई को भिगोकर रोजाना योनि में रखें। धोने से बची हुई छाल को सुखाकर जलाकर उसका धुँआ योनि के मुख पर दें। इसके साथ ही नीम के पानी से बार-बार योनि को धोएं। ऐसा करने से ढीली योनि सख्त हो जाती है।
Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
Uses of Neem, Neem Benefits

मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को ठीक करने में नीम का उपयोग (Use of Neem to cure menstrual problems)

मोटी कूटी हुई नीम की छाल 20 ग्राम, गाजर के बीज 6 ग्राम, ढाक के बीज 6 ग्राम, काले तिल और पुराना गुड़ 20-20 ग्राम लें। इन्हें मिट्टी के बर्तन में 300 मिली पानी के साथ पकाएं। 100 मिली शेष रहने पर छानकर सात दिन तक पिलाएं। मासिक विकारों में लाभ होता है। इसे गर्भवती स्त्री को नहीं देना चाहिए।

प्रदर रोग (ल्यूकोरिया) के उपचार में नीम का उपयोग (Use of Neem in the treatment of leucorrhoea)

  • नीम की छाल और बबूल की छाल बराबर-बराबर मात्रा में लेकर 10-30 मिली काढ़ा बनाएं। 10-20 मिली काढ़े का सुबह-शाम सेवन करने से सफेद प्रदर यानी ल्यूकोरिया रोग में लाभ होता है।
  • 10 ग्राम नीम के छाल के साथ बराबर गिलोय को पीसकर दो चम्मच शहद मिला लें, और दिन में तीन बार सेवन करें। इससे मासिक के समय अधिक रक्तस्राव होने से लाभ मिलता है।
Neem Ke kya Fayde hai: नीम क्या है?, इसके उपयोग, फायदे और नुक्सान
Uses of Neem, Neem Benefits

प्रसव संबंधी समस्याओं के लिए नीम का प्रयोग (Use of Neem for delivery problems)

नीम प्रसव के समय या बाद में होने वाले परेशानियों को दूर करता है।

  • प्रसव के दौरान अधिक दर्द हो रहा हो तो 5-6 ग्राम नीम के बीज के चूर्ण का उपयोग लाभदायक होता है।
  • प्रसव के बाद रुके हुए दूषित रक्त को निकालने के लिए 10-20 मिली नीम के छाल के काढ़े को 6 दिन तक सुबह-शाम पीयें।
  • नीम की 6 ग्राम छाल को पानी के साथ पीस लें। 20 ग्राम घी मिलाकर कांजी के साथ पिलाने से प्रसव के पश्चयात होने वाले रोगों में फायदा मिलता है।
  • नीम की लकड़ी को प्रसूता के कमरे में जलाने से नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।

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