Haldee Kya Hai: हल्दी क्या है, हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं और उपयोग

हल्दी क्या है, हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं और उपयोग

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Haldee kya hai: हल्दी क्या है, हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं और उपयोग

हल्दी का परिचय (introduction of turmeric)

हल्दी (टर्मरिक) वनस्पति है। यह अदरक की प्रजाति का 5-6 फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसके जड़ की गाठों से हमें हल्दी मिलती है। हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता मिली हुई है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अलावा हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक आदि कई नामों से जाना जाता हैं।

Haldee kya hai: हल्दी क्या है, हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं और उपयोग
Haldee ke upyog or fayde

आयुर्वेद में हल्‍दी को महत्‍वपूर्ण औषधि‍ माना गया है। हमारी रसोई में इसका महत्वपूर्ण स्थान है और धार्मिक रूप से इसको बेहद शुभ भी माना जाता है। विवाह के एक दिन पहले वर और वधू दोनों के शरीर पर हल्दी का लेप लगाने की प्रथा है।

हल्दी के नाम (Haldee ke name)

  • लैटि‍न भाषा में : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
  • अंग्रेजी भाषा में : टरमरि‍क (Turmeric)
  • पारि‍वारि‍क नाम : जिन्जिबेरेसी (Zingiberaceae)

लेकिन लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है, जहां इसे हरिद्रा के रूप में भी जाना जाता है, खाद्य एवं औषधि प्रशासनों के अनुसार, किसी भी प्रकार की बीमारी के इलाज हेतु हल्दी या उसके घटक, करक्यूमिन का उपयोग करने के लिए कोई उच्च गुणवत्ता वाला नैदानिक ​​प्रमाण नहीं है। हल्दी एक ऐन्टीसेप्टिक के रूप मे कार्य करती है।

हल्दी में उड़नशील तेल 5.8%, प्रोटीन 6.3%, द्रव्य 5.1%, खनिज द्रव्य 3.5%, और करबोहाईड्रेट 68.4% के अलावा कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, विटमिन-ए पाए जाते हैं। हल्दी पाचन तन्त्र, गठिया, रक्त-प्रवाह की समस्याओं, कैंसर, जीवाणुओं (बेक्टीरिया) के संक्रमण, उच्च रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की समस्या और शरीर की कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत में बहुत लाभदायक है।

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हल्दी कफ़वात शामक, पित्त रेचक व पित्त शामक है। रक्त स्तम्भन, मूत्र रोग, गर्भश्य, प्रमेह, त्वचा रोग, वात-पित्त-कफ़ में हल्दी उपयोग बहुत लाभदयक है। यकृत की वृद्धि में इसका लेप किया जाता है। नाड़ी शूल के अलावा पाचन क्रिया के रोगों अरुचि (भूख न लगना) विबंध, कमला, जलोधर व कृमि में भी यह लाभदयक साबित हुई है। हल्दी की एक किस्म काली हल्दी भी होती है। उपचार में काली हल्दी पीली हल्दी के मुक़ाबले ज्यादा फायदेमंद होती है।

Haldee kya hai: हल्दी क्या है, हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं और उपयोग
Uses and benefit of turmeric

हल्दी के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Turmeric)

हल्दी को आयुर्वेदिक पदार्थ कहा जाता है। ऐसा मानने का कारण इसमें मौजूद औषधीय गुण है। इसके औषधीय गुण कई बीमारियों से बचाने और उनसे राहत दिलाने में सहायक हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी को लेकर किए गये रिसर्च के अनुसार, हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक, एंटी कैंसर, एंटीट्यूमर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर की सुरक्षा ), कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय की सुरक्षा) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी को सुरक्षित रखने वाले गुण) होते हैं।

हल्दी के उपयोग (haldee ke upayog)

हमारे रसोई घर की शान होने के साथ ही हल्दी कई चामत्कारिक औषधीय गुणों से भरपूर है। आयुर्वेद में तो हल्‍दी को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है क्योंकि हल्दी गुमचोट के इलाज में तो मदद करती ही है इसके साथ ही कफ-खांसी सहित कई बीमारियों के उपचार में काम आती है। इसके अतिरिक्त हल्दी सौन्दर्यवर्धक भी होती है और प्रचीनकाल से ही इसका प्रयोग त्वचा को निखारने के लिए किया जाता रहा है। वर्तमान में हल्दी का प्रयोग उबटन से लेकर और कई तरह की क्रीमों में भी किया जा है।

हल्दी के फायदे (Haldi ke Fayde)

देश में हल्‍दी का काफी समय से प्रयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में हल्‍दी का इस्‍तेमाल किया जाता है और इससे बनी औषधियां सांस से संबंधित परेशानियों, रूमेटिज्म, बदन दर्द और थकान को दूर करने में लाभदायक हैं। हल्दी प्रोटीन, विटामिन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट जैसे कई गुणों से भरपूर है।

  • हड्डियां मज़बूत: हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, इसलिए सर्दी-ज़ुकाम और कफ की समस्या होने पर हल्दी मिलाकर दूध का सेवन लाभकारी होता है। सर्दी में भी इसका सेवन करना फायदेमंद होता है, और इसके साथ ही हड्डियां मज़बूत होती हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: हल्दी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है, (इम्युनिटी बढ़ती है।)
  • दर्द से राहत: हाथ-पैरों में होने वाले दर्द से राहत के लिए भी हल्दी वाला दूध दिया जाता है। इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है, जिससे दर्द से राहत मिलती है।
  • गठिया में उपयोगी: हल्दी में निहित उत्कृष्ट एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया दोनों के इलाज के लिए उत्तम आहार है। इसके अतिरिक्त हल्दी के एंटीऑक्सिडेंट गुण शरीर में मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) को नष्ट कर देते हैं जो शरीर को हानि पहुँचा सकते हैं। यह देखा गया है कि रूमेटाइड संधिशोथ से पीड़ित व्यक्ति जो हल्दी का नियमित आधार पर उपभोग करते हैं, उन्हें इसकी वजह से हल्के जोड़ो के दर्द और साथ ही सूजन से आराम मिलता हैं।
  • घाव भरने में सहायक: हल्दी में चोट के द्वारा हुए घाव को तेज़ी से भरने का भी गुण होता है। हल्दी को चूने में मिलाकर चोट वाली जगह पर लगाने से यह दर्द को खींच लेती है।
  • आंखों के दर्द से आराम: 1 ग्राम हल्दी को 25ml पानी में उबालकर छान लें। उसके बाद इसे आंखों में डालने से आंखों के दर्द से राहत मिलती है। कंजक्टीवाइटिस होने पर भी आप इसी उपाय का उपयोग कर सकते हैं।
  • कान बहने की समस्या: कान से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलना एक गंभीर समस्या है जिसे आम भाषा में हम कान बहना कहते हैं। इससे आराम पाने के लिए हल्दी को पानी में मिलाकर उबाल लें, और छान कर कान में डालें।
  • पायरिया में हल्दी के फायदे: सरसों का तेल, हल्दी मिलाकर सुबह-शाम मसूड़ों पर लगाकर अच्छी तरह मालिश करने तथा बाद में गर्म पानी से कुल्ले करने पर मसूड़ों के हर प्रकार के रोग से राहत मिलती हैं।
  • दर्द और सूजन को दूर करने में: हल्दी में मौजूद करक्यूमिन के कारण यह जोड़ों के दर्द और सूजन को दूर करने में दवाइयों से भी ज़्यादा बेहतर काम करता है।
  • शरीर के टोक्सिन्स को बाहर निकालने में लाभदायक: बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए गर्म पानी में नींबू, हल्दी पाउडर तथा शहद मिलाकर सेवन करें। यह शरीर के टोक्सिन्स को बाहर निकालने में लाभदायक होता है।
  • स्वस्थ शरीर: रोज एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से आपआपका शरीर स्वस्थ रहता है।
  • वजन कम करना: गुनगुने दूध के साथ हल्दी के उपयोग करने से शरीर में जमा अतिरिक्त फैट धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसमें मौजूद कैल्शियम और अन्य तत्व वजन कम करने में भी लाभदायक होते हैं।
  • ब्लड सर्कुलेशन बेहतर: यह ब्लड प्यूरिफायर (रक्त शोधन) करता है। हल्दी से रक्त में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
  • अच्छी नींद: सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीने से नींद अच्छी आती है।
  • शुद्ध रक्त: हल्दी में वात, पित्त व कफ़ को शमन करने वाले व रक्त को शुद्ध करने के गुण होते हैं. खून में ब्लड शुगर की मात्रा अधिक होने पर मधुमेह रोग हो जाता है।
  • शुगर लेवल कम: खून में ब्लड शुगर बढ़ने पर हल्दी वाले दूध का उपयोग फायदेमंद होता है। दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करने से शुगर लेवल कम होता है।
  • खांसी से आराम: हल्दी को भूनकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम हल्दी चूर्ण के शहद या घी के साथ सेवन करने से खांसी से आराम मिलता है।
  • पेट दर्द से आराम: पेट दर्द होने पर भी हल्दी का उपयोग करने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है। 10 ग्राम हल्दी को 250ml पानी में उबाल लें। पेट दर्द होने पर इसमें गुड़ मिलाकर थोड़ा-थोड़ा सेवन करें।
  • बवासीर: बवासीर से आराम पाने के लिए सेहुंड के दूध में 10 ग्राम हल्दी मिलाकर मस्सों में लगाएं। । इसके साथ ही सरसों के तेल में हल्दी चूर्ण को मिलाकर मस्सों पर लगाने से बवासीर में फायदा मिलता है।
  • पीलिया से आराम: पीलिया होने पर 6 ग्राम हल्दी चूर्ण को मठ्ठे में मिलाकर दिन में दो बार उपयोग करने पर 4-5 दिन में ही पीलिया से आराम मिल जाता है। इसके अतिरिक्त 5-10 ग्राम हल्दी चूर्ण में 50 ग्राम दही मिलाकर खाने से भी आराम मिलता है।
  • डायबिटीज में हल्दी के फायदे: 2 से 5 ग्राम हल्दी चूर्ण में आंवला रस तथा शहद मिलाकर सुबह और शाम को खाए, डायबिटीज के मरीजों के लिए ये फायदेमंद होता है। इसके साथ ही हल्दी, दारुहल्दी, तगर और वायविडंग का क्वाथ बनाकर उसकी 20-40 ml की मात्रा में 5-10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह- शाम उपयोग करने से डायबिटीज में फायदा होता है।
  • हल्दी से त्वचा की देखभाल
  1. चेहरे को मोइश्चराइज़ करने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए हल्दी को एक स्पून मिल्क पाउडर, दो चम्मच शहद और आधे नींबू के रस में मिलाकर सूखने तक चेहरे पर लगाएं।
  2. चेहरे पर ग्लो: 3 चम्मच बेसन में आधा चम्मच हल्दी और थोड़ा-सा दूध मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं।
  3. ऑयली स्किन: हल्दी, संतरे का रस व चन्दन मिलाकर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाना चाहिए।
  4. 2 चम्मच खीरे के रस में एक चौथाई हल्दी मिलाये और चेहरे पर लगाये इसे चेहरे की रंगत निखरती है।
  • चर्म रोग में फायदे: खुजली, दाद के अतिरिक्त चर्म रोग में भी हल्दी का उपयोग करना लाभदायक होता है। हल्दी के चूर्ण में मक्खन मिलाकर चर्म रोग वाले स्थान पर लगाने से भी फायदा मिलता है।
  • सूजन से आराम: अगर शरीर के किसी हिस्से में सूजन हो रही है तो हल्दी के उपयोग से आप सूजन कम कर सकते हैं। इसके लिए हल्दी, पिप्पली, पाठा, छोटी कटेरी, चित्रकमूल, सोंठ, पिप्पली, जीरा और मोथा को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे कपड़े से छान लें। इस चूर्ण का 2-2 ग्राम की मात्रा गुनगुने जल के साथ मिलाकर सेवन करने से सूजन से आराम मिलता है।
  • वजन कम करने में सहायक: जो व्यक्ति वजन कम करना चाहते हैं वे प्रत्येक दिन भोजन के साथ हल्दी पाउडर के एक चम्मच का उपयोग कर सकते हैं।
  • अल्जाइमर रोग से बचाव: हल्दी में करक्यूमिन के साथ ही एक और महत्वपूर्ण घटक होता है जिसे टरमरोन कहते हैं। एक रिसर्च में देखा गया है कि यह यौगिक मस्तिष्क की कोशिकाओं की मरम्मत करने में सहायक होता है। यह स्ट्रोक और अल्जाइमर रोग जैसे न्यूरोडेजेनरेटिव बीमारियों को रोकने में भी मदद करता है। एक और अध्ययन में यह पता चला है कि कर्क्यूमिन अल्जाइमर रोग में स्मृति के सुधार में भी मदद कर सकता है।
Haldee kya hai: हल्दी क्या है, हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं और उपयोग
Haldee ke aushadheey gun kya hai aur upayog

हल्दी के नुकसान (Haldi ke Nuksaan)

किसी भी चीज का ज्यादा उपयोग हमें नुकसान भी पहुँचाता है। कुछ ऐसा ही हल्दी पर भी लागू होता है। आइये जानते हैं कि हल्दी का सेवन कितनी मात्रा लेना सही है और इसके नुक्सान क्या हो सकते हैं।

  • पेट से संबंधित समस्याएं: आप इसका ज्यादा सेवन करते हैं तो इससे आपको पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। और साथ ही, इसके कारण आपको चक्कर भी आ सकते हैं। लेकिन यह अधिकतर मामलों में तब देखा गया है जब लोग इसका सेवन कैप्सूल या सप्लीमेंट के रूप में करता है। इसलिए विशेषज्ञ भी हल्दी को नेचुरल फॉर्म में लेने का सुझाव देते हैं। उनका मानना है कि हल्दी के संपूर्ण लाभ हासिल करने का केवल यही तरीका है।
  • पेट से संबंधित समस्या: हल्दी की तासीर गर्म होती है। और अगर आप हल्दी का ज्यादा उपयोग करते हैं तो इससे आपके पेट में जलन की प्रॉब्लम हो सकती है। इसके साथ ही सूजन और पेट में ऐंठन की समस्या भी हो सकती है। तो आपके लिए सिर्फ सही मात्रा में ही हल्दी का उपयोग सही रहेगा।
  • गर्भपात का खतरा: गर्भवती स्त्रीयों को हल्दी का सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए, अधिक हल्दी खाने से गर्भपात का खतरा हो होता है।
  • ब्लड शुगर मरीज: डायबिटीज़ के मरीज़ो को सावधानी से इसका उपयोग करना चाहिए, क्योंकि अधिक उपयोग करने से यह ब्लड शुगर कम कर देता है।
  • दस्त लगना: हल्दी के अधिक उपयोग से पेट की गर्मी, चक्कर आना, उल्टी व दस्त लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • किडनी में पथरी: हल्दी का आवश्यकता से ज्यादा उपयोग करने से किडनी में पथरी की प्रॉब्लम हो सकती है। असल में, हल्दी के अंदर ऑक्सलेट मौजूद होता है। यह ऑक्सलेट कैल्शियम को शरीर में घुलने के बजाय बांधने लगते हैं। जिससे कैल्शियम अघुलशील होने लगता है। यह किडनी में पथरी का एक मुख्य कारण बनता है।
  • दस्त या उल्टी: हल्दी में बहुत से तत्व होते हैं उन्हीं में से एक करक्यूमिन है। यह करक्यूमिन पाचन संबंधित समस्याएं पैदा करता है। इसी के कारण हमें दस्त या उल्टी की समस्या भी होती है। हालाँकि यह समस्या सिर्फ तभी होती है जब आप हल्दी का ज्यादा उपयोग करते हैं।
  • स्किन और सांस की समस्या: हल्दी के उपयोग से सांस की तकलीफ़ और त्वचा पर चकत्ते की समस्या भी हो सकती है।
  • आयरन एब्सॉर्ब होने में समस्या: हल्दी का ज्यादा उपयोग आयरन को शरीर में एब्सॉर्ब होने से रोकता है। तो अगर आपके शरीर में आयरन की कमी है आप हल्दी का सेवन सिर्फ सही मात्रा में ही करें।
  • कीमोथेरेपी पर प्रभाव: हल्दी से कीमोथेरेपी पर प्रभाव हो सकता है, इसी कारण कीमोथेरेपी उपचार के समय हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है: हल्दी का उपयोग टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने के साथ-साथ, शुक्राणुओं की संख्या को भी कम करता है। इसी कारण केवल सीमित मात्रा में ही सेवन करें।

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