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What is South Tax Movement: South Tax Movement क्या है? केंद्र सरकार से ज्यादा पैसे क्यों मांग रही केरल और कर्नाटक सरकार
South Tax Movement: कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया बुधवार को अपनी पूरी सरकार लेकर धरना देने दिल्ली पहुंचें.
भारत में उत्तर बनाम दक्षिण की राजनीति पर कई बार चर्चा हो चुकी है. इस बार कुछ दक्षिणी राज्यों ने केंद्र सरकार पर उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. मामला सिर्फ आरोपों तक ही नहीं रुका बल्कि इसे लेकर सड़कों पर प्रदर्शन भी हुए. बुधवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. केरल की वामपंथी गठबंधन सरकार ने भी इसका समर्थन किया. ये पूरा विवाद इन राज्यों को केंद्र से मिलने वाले पैसे को लेकर है. केरल और कर्नाटक का कहना है कि उन्हें कम पैसा दिया जा रहा है.
कांग्रेस का आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों में कर राजस्व और सहायता अनुदान में राज्य के हिस्से के हस्तांतरण में कर्नाटक के साथ अन्याय किया गया है। प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के तहत कर्नाटक को हुए 1.87 लाख करोड़ रुपये के कथित नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार को करनी चाहिए. सिद्धारमैया ने कहा कि यह विरोध भाजपा के नहीं बल्कि कर्नाटक के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ है.
क्या है सिद्धारमैया की मांग? (What is Siddaramaiah demand)
उन्होंने बीजेपी के इस आरोप को खारिज कर दिया कि इस विरोध का मकसद उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ावा देना है. सीएम ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि देश एकजुट रहे, लेकिन दक्षिणी राज्यों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.
सिद्धारमैया ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के तहत राज्यों, विशेषकर कर्नाटक को कर राजस्व वितरित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला फॉर्मूला 15वें वित्त आयोग द्वारा बदल दिया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य के राजस्व के नुकसान को रोकने के लिए पुराने फॉर्मूले पर लौटने की जरूरत है.
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अनुभवी सीपीएम नेता और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ दक्षिणी राज्य के प्रति केंद्र की कथित उदासीनता के खिलाफ 8 फरवरी को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने सिद्धारमैया और कर्नाटक के नेताओं के इस प्रदर्शन का भी समर्थन किया है. सिद्धारमैया कर्नाटक के कुल 135 विधायकों और सांसदों के साथ दिल्ली पहुंचे थे और अपना विरोध जताया था.
क्या है पूरा विवाद?
आपको बता दें कि केंद्रीय बजट में राज्यों को भी अपना हिस्सा मिलता है. राज्यों में कर संग्रह का एक बड़ा हिस्सा सीधे केंद्र सरकार को जाता है, इस पैसे को केंद्र सरकार बांटती है.
पूरा विवाद इसी पैसे के बंटवारे को लेकर है. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के आर्थिक सलाहकार बसवरद रायरेड्डी का कहना है कि केंद्र सरकार पर दक्षिणी राज्यों के साथ भेदभाव न करने का दबाव बनाया जाएगा. इसके लिए आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकार से भी बातचीत की जाएगी.
उनका कहना है कि मौजूदा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें अक्टूबर 2025 में आएंगी। उससे पहले अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। कर्नाटक सरकार जहां सड़कों पर उतर आई है, वहीं केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी इसके लिए पिनाराई विजयन की तारीफ की है.
कर्नाटक सरकार का कहना है कि जब से 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हुई हैं, तब से केंद्र से मिलने वाले टैक्स के पैसे में उसकी हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 3.64 फीसदी रह गई है, जबकि पहले यह 4.71 फीसदी थी.
कर्नाटक सरकार का आरोप है कि हमने उत्तर से बेहतर काम किया है, शायद इसी की सजा के तौर पर फंड में कटौती की जा रही है.
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