Rashtriya Vigyaan Diwas Kyon Manate Hai: जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और कौन थे सीवी रमन

जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और कौन थे सीवी रमन

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rashtriya vigyaan divas: 28 फरवरी 1928 में सीवी रमन ने रमन प्रभाव की खोज की जिसे याद रखने के लिए हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है.

नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन ने 28 जनवरी 1928 को रमन प्रभाव (raman prabhaav) की खोज की थी, और इसीलिए उनके इस आविष्कार को याद रखने के लिए हर वर्ष इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के स्वरूप में मनाया जाता है. उनकी इस महत्‍वपूर्ण खोज के लिए 1930 में उन्हें भौतिकी के नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था.

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rashtriya vigyaan divas

इस दिन देश में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और जिसमें वैज्ञानिकों को उनकी खोज के लिए सम्मानित भी किया जाता है. इस दिन का प्रमुख उद्देश्य युवाओं और लोगों को विज्ञान और वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति जागरुक करना है.

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हर वर्ष सरकार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए एक थीम चुनी जाती है. कुछ दिनों पहले केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस थीम का आधिकारिक नाम बताया था ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’.

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kaun they CV Raman

कौन थे सीवी रमन (kaun they CV Raman)

उनका पूरा नाम था चंद्रशेखर वेंकट रमन. उनका जन्म 7 नवंबर 1888 में तमिलनाडु के तिरुचिलापल्ली में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा विशाखापट्टनम के सेंट एलॉयसिस एंगलो-इंडियन हाईस्कूल और मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से हासिल की.

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1907-1933 के बीच उन्होंने कोलकाता में इंडियाना एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में काम किया और फिजिक्स से संबंधित कई मुद्दों पर रिसर्च की. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने बेंगुलुरु में रमन रिसर्च इंस्टीटयूट की स्थापना की.

भारत सरकार ने उन्हें साल 1954 में सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से नवाजा गया था. और 21 नवंबर 1970 के दिन उनका निधन हो गया था.

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kya Hai raman prabhaav

क्या है रमन प्रभाव (kya Hai raman prabhaav)

एक बार रमव जब लंदन से वापस आ रहे थे, तो समुद्र का नीला जल देखकर उनके मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि जल नीला क्यों है. भारत लौटकर उन्होंने उस पर रिसर्च की. पारदर्शी पदार्थ से गुजरने पर प्रकाश की किरणों में आने वाले बदलाव पर की गई उनकी इस महत्‍वपूर्ण खोज को रमन प्रभाव (रमन इफेक्ट) नाम से जाना जाता है. उनकी इस खोज का उपयोग आज दुनिया भर में किया जाता है.

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