भारत या इंडिया: 18वीं शताब्दी से चल रही बहस

(BHARAT VS INDIA) भारत या इंडिया?

भारत एक ऐसा देश है जो अपने समृद्ध इतिहास और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह एक ऐसा देश भी है जो अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। भारत की विविधता भाषा, धर्म, जाति और संस्कृति में परिलक्षित होती है।

भारत के नाम को लेकर भी बहस चल रही है। कुछ लोग मानते हैं कि भारत को “INDIA” कहा जाना चाहिए, जबकि कुछ मानते हैं कि इसे “भारत” कहा जाना चाहिए। यह आज की नही, बल्कि यह बहस पहली बार 18वीं शताब्दी में शुरू हुई थी, जब ब्रिटिश भारत पर शासन कर रहे थे। ब्रिटिश लोगों ने भारत को “INDIA” कहा, जो लैटिन शब्द “इंडिया” से लिया गया है। यह शब्द भारत के पूर्वी तट पर स्थित भारत नामक एक प्राचीन क्षेत्र के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

भारत में, “भारत” शब्द का उपयोग 10वीं शताब्दी से किया जा रहा है। यह शब्द संस्कृत शब्द “भारतवर्ष” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “भारत की भूमि”।

तथा भारत, जिसे आधिकारिक रूप से गणराज्य भारत (Republic of India) के नाम से जाना जाता है, एक विशाल और मल्टीकल्चरल देश है जिसका इतिहास बहुत प्राचीन है। यहाँ के लोग विभिन्न धर्मों, भाषाओं, और संस्कृतियों के साथ एक साथ रहते हैं, और देश का इतिहास भी इस विविधता को प्रकट करता है। इसके साथ ही, भारत का नाम भाषा और स्वाभाविक विवादों का भी कारण रहा है। “भारत” और “इंडिया” के नामों के पर्याप्तता और उपयोग पर लगातार बहस होती रही है।

BHARAT VS INDIA
INDIA vs BHARAT

इस बहस का प्रारंभ तब हुआ जब भारत ने 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। इसके बाद, देश के संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान भारतीय संघ के सदस्यों ने देश का आधिकारिक नाम क्या होना चाहिए, इस पर बहस की। “भारत” और “इंडिया” दोनों नामों की प्रस्तावना की गई, और इस पर बहस हुई कि कौनसा नाम बेहतर होगा और संविधान में कैसे प्रमुख नाम के रूप में उपयोग किया जाए।

इस बहस का एक पहलू “भारत” नाम के प्रशंसकों के पक्ष से था, जिन्होंने इसे भारतीय संस्कृति और गणराज्य के प्रतीक के रूप में देखा। “भारत” नाम का उपयोग भाषा के साथ जोड़कर इसे विशेषत: भाषा के द्वारा सभी भारतीयों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया।

दूसरी ओर, “इंडिया” नाम के प्रशंसक यह दावा करते हैं कि यह नाम विश्व में भारत की पहचान के रूप में प्रसिद्ध है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी अधिक सुविधा प्रदान करता है। “इंडिया” नाम को भारत के राज्यों के साथ जोड़कर इसे एक एकीकृत देश की प्रतीक बनाने का अभियांस किया गया।

इस विवाद के बावजूद, संविधान निर्माण के परिणामस्वरूप 1950 में “भारत” नाम को अधिकृत रूप से गणराज्य का नाम घोषित किया गया। इसके बावजूद, “इंडिया” नाम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की पहचान के रूप में प्रचलित रहा है और अनेक विशेष उद्घाटनों और खेलों में इसका प्रयोग किया जाता है।

इस बहस का आयोजन विश्व भर में हो रहा है, और कुछ लोग आज भी “भारत” और “इंडिया” नामों के बीच की उपयोगिता और प्राधिकृत तरीके से चर्चा करते हैं। इस बहस के परिणामस्वरूप, हर किसी को अपनी प्राथमिकताओं और सांस्कृतिक भाषा के आधार पर इन दोनों नामों के उपयोग का निर्णय करने का अधिकार है।

इस तरह, “भारत” और “इंडिया” नामों के बीच की बहस एक महत्वपूर्ण और रूचिकर विचारधारा का हिस्सा रही है, जो भारतीय समाज के गहरे संस्कृतिक और राष्ट्रीय अभिवादन का प्रतीक है। यह दिखाता है कि नाम केवल एक शब्द ही नहीं होता, बल्कि वह देश की भावनाओं, इतिहास, और संविधानिकता का प्रतीक भी हो सकता है। अंत में, यह निर्णय भारतीय लोगों के आत्मगौरव और सांस्कृतिक विरासत का मामूला बन गया है और देश की अद्वितीयता का हिस्सा बना है।

भारत बनाम इंडिया बहस के पक्ष और विपक्ष

भारत के पक्ष में तर्क

  • भारत एक प्राचीन देश है और इसका अपना ऐतिहासिक नाम है।
  • भारत का नाम संस्कृत शब्द “भारतवर्ष” से लिया गया है, जो देश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है।
  • भारत का नाम “INDIA” ब्रिटिश शासन का प्रतीक है।

INDIA के पक्ष में तर्क

  • “INDIA” शब्द अधिक अंतरराष्ट्रीय है और इसे दुनिया भर में आसानी से समझा जा सकता है।
  • “INDIA” शब्द ब्रिटिश शासन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत के विविधतापूर्ण इतिहास और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत या इंडिया: 18वीं शताब्दी से चल रही बहस
BHARAT VS INDIA

क्या भारत अपना नाम बदलेगा?

भारत अपना नाम बदलेगा या नहीं, यह अभी भी एक खुला सवाल है। इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। हालाँकि, कुछ लोग मानते हैं कि भारत को अपना नाम बदलना चाहिए और “भारत” को अपनाना चाहिए। वे तर्क देते हैं कि यह देश की संस्कृति और इतिहास को बेहतर ढंग से दर्शाएगा।

निष्कर्ष

भारत या इंडिया, यह एक व्यक्तिगत पसंद का मामला है। कुछ लोगों को “INDIA” पसंद है, जबकि अन्य को “भारत” पसंद है। दोनों शब्दों में अपनी-अपनी ताकत और कमजोरियां हैं। अंततः, यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर है कि वह भारत को किस नाम से पुकारना चाहता है।

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