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What is a special session of Parliament: (संसद के विशेष सत्र)
संसद भारत के विधायिका का सर्वोच्च निकाय है। इसमें राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं। संसद के तीन पारंपरिक सत्र होते हैं: बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र। इन सत्रों के अलावा, संसद के विशेष सत्र भी बुलाए जा सकते हैं।
संसद के विशेष सत्र के लिए शक्ति
संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुसार, संसद के विशेष सत्र को राष्ट्रपति बुला सकते हैं। राष्ट्रपति संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की सलाह पर ऐसा करते हैं। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और संसद के सभी दलों के नेताओं का प्रतिनिधित्व होता है।
संसद के विशेष सत्र की प्रक्रिया
संसद के विशेष सत्र को बुलाने के लिए, राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करते हैं। इस अधिसूचना में सत्र की तिथि, स्थान और एजेंडा शामिल होता है। अधिसूचना जारी होने के बाद, सत्र की तिथि से कम से कम 14 दिन पहले संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को बुलावा भेजा जाता है।
संसद के विशेष सत्र का एजेंडा
संसद के विशेष सत्र का एजेंडा राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है। एजेंडा में आमतौर पर ऐसे मुद्दे होते हैं, जिन्हें सरकार तत्काल संसद के समक्ष रखना चाहती है। उदाहरण के लिए, सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण कानून पारित करने या एक संवैधानिक संशोधन को मंजूरी देने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
संसद के विशेष सत्र का महत्व
संसद के विशेष सत्र का उपयोग सरकार द्वारा महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है। विशेष सत्र के माध्यम से, सरकार जनमत को प्रभावित करने और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास कर सकती है।
संसद के विशेष सत्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- संसद के विशेष सत्र का कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती है। यह सत्र केवल तब तक चलेगा जब तक कि सरकार का एजेंडा पूरा नहीं हो जाता।
- संसद के विशेष सत्र में, संसद के दोनों सदनों में समान संख्या में बैठकें होती हैं।
- संसद के विशेष सत्र में, सरकार आमतौर पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कड़े अनुशासन का पालन करती है।
भारत में संसद के विशेष सत्र
भारत में संसद के विशेष सत्र का इतिहास लंबा है। 1950 से अब तक, भारत में सैकड़ों विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं। हाल के वर्षों में, संसद के विशेष सत्र का उपयोग सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए किया गया है। उदाहरण के लिए, 2019 में, भारत सरकार ने एक विशेष सत्र के माध्यम से नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया।
भारत में संसद के विशेष सत्र का भविष्य
संसद के विशेष सत्र का उपयोग सरकार द्वारा भविष्य में भी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, विशेष सत्रों का उपयोग सरकार द्वारा जनमत को प्रभावित करने और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इन सत्रों का उपयोग लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करते हुए किया जाए।
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