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पहले प्राण प्रतिष्ठा का किया विरोध, अब समर्थन, बदले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वारनंद के बोल?

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Shankaracharya Avimukteshwaranand Ne Kaha: ज्योतिष मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पहले कहा था कि भगवान राम की प्रतिष्ठा अधूरे और विकलांग मंदिर में नहीं हो सकती.

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ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसकों में से एक हैं, उनकी वजह से हिंदू स्वाभिमान जागृत हुआ है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की खूब तारीफ की है तो वहीं उनकी कई नीतियों की आलोचना भी की है.

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शंकराचार्य ने इससे पहले अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भी सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि एक विकलांग मंदिर में किसी देवता की प्राण-प्रतिष्ठा कैसे की जा सकती है.

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शंकराचार्य ने नई प्रतिमा पर भी सवाल उठाए 18 जनवरी को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास को पत्र लिखकर पूछा था कि मौजूदा मूर्ति का क्या होगा क्योंकि गर्भगृह में एक नई मूर्ति रखी जा रही है।

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उन्होंने पूछा था, 'अगर यह नई मूर्ति रखी गई तो राम लला विराजमान का क्या होगा? अब तक राम भक्तों का मानना था कि नया मंदिर रामलला विराजमान के लिए बनाया जा रहा है.

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लेकिन अब, मंदिर परिसर में निर्माणाधीन गर्भगृह में एक नई मूर्ति की खबर ने संदेह पैदा कर दिया है कि क्या राम लला विराजमान की उपेक्षा की जाएगी।'

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पहले आलोचना, अब प्रशंसा, कैसे बदली शंकराचार्य की राय? स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मंदिर की पवित्रता पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि मंदिर को भगवान का शरीर माना जाता है. मंदिर अधूरा है इसलिए वहां नई मूर्ति की प्रतिष्ठा करना उचित नहीं है।

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उनके इस बयान के बाद विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ सरकार की कड़ी आलोचना करने का बहाना मिल गया. विपक्ष ने बोला था कि नरेद्र मोदी शास्त्र विरोधी कार्य कर रहे हैं.

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हालांकि, कुछ शंकराचार्यों ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें कार्यक्रम से कोई आपत्ति नहीं है. अब अचानक अविमुक्तेश्वरानंद ने पीएम मोदी की तारीफ की है.

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शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं होंगे शामिल हिंदू धर्म के चारों शंकराचार्यों ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से खुद को अलग कर लिया है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठने लगे

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क्योंकि शंकराचार्यों ने कहा कि यह शास्त्रविरुद्ध तरीके से किया जा रहा है. हिंदू धर्म के संरक्षक चारों शंकराचार्यों ने साफ कह दिया था कि वे इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे.

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