निपाह वायरस, केरला स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट
हाल ही में निपाह वायरस के कारण केरल में दो लोगों की मौत की ख़बर सामने आई है.
निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलता है।
यह वायरस सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में पाया गया था। इसके बाद यह बांग्लादेश, सिंगापुर, इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत और नेपाल में भी फैल चुका है।
तथा चमगादड़ इस वायरस के वाहक होते हैं और जब वे संक्रमित होते हैं, तो उनके मल, मूत्र और लार में वायरस होता है।
इसके लक्षण आमतौर पर 4-14 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं जैसे - बुखार, सिरदर्द, थकान, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, दौरे पड़ना, लकवा आदि.
वेसे अभी तक इस वायरस का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, लक्षणों के इलाज के लिए दवाएं दी जा सकती हैं। गंभीर मामलों में, मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जा सकता है।
वायरस से बचाव के लिए:- चमगादड़ों के संपर्क में आने से, उसके मल, मूत्र या लार से दूषित भोजन या पेय पदार्थों से बचें, हाथों को बार-बार साबुन से धोएं आदि|
इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से निपाह वायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रसार को रोकने में मदद करने का आग्रह किया गया है।