संसद के विशेष सत्र को राष्ट्रपति बुलाते हैं।
और इसका एजेंडा भी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।
और संसद के विशेष सत्र का कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती है।
संसद के विशेष सत्र में, सरकार आमतौर पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कड़े अनुशासन का पालन करती है।
भारत में संसद के विशेष सत्र का इतिहास लंबा है।
हाल के वर्षों में, संसद के विशेष सत्र का उपयोग सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए किया गया है।
उदाहरण के लिए, 2019 में, भारत सरकार ने एक विशेष सत्र के माध्यम से नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया।
राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करते हैं। इस अधिसूचना में सत्र की तिथि, स्थान और एजेंडा शामिल होता है। अधिसूचना जारी होने के बाद, सत्र की तिथि से कम से कम 14 दिन पहले संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को बुलावा भेजा जाता है।
संसद के विशेष सत्र का उपयोग सरकार द्वारा भविष्य में भी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है।