अग्निवीर सैनिक को सम्मान न मिलने के संबंध में लगे आरोपों पर भारतीय सेना ने विस्तार से जवाब दिया है और इन सारे आरोपों को खारिज कर दिया है.
भारतीय सेना के सैनिक अमृतपाल सिंह की मौत के बाद बवाल मच गया है. पंजाब में उसके गांव में जब उनका शव पहुंचा और सेना की ओर से उसे को कोई सम्मान नहीं दिया गया
तो मामला राजनीतिक बन गया. विपक्षी पार्टियों ने कई सवाल उठाए कि 'शहीद' बावजूद इसके अमृतपाल सिंह को न तो सलामी दी गई
और न ही उनका शव लाने के लिए आर्मी की तरफ से सरकारी गाड़ी भेजी गई. अब इस पर भारतीय सेना ने एक विस्तार सहित जवाब दिया है
सेना ने अपने आधिकारिक बयान में इस बात पर बल दिया है कि वह सैनिकों के बीच इस आधार पर भेदभाव नहीं करते कि वे 'अग्निपथ योजना' के लागू होने से पहले या बाद में सेना में भर्ती हुए थे.
भारतीय सेना ने बताया है कि 11 अक्टूबर को अमृतपाल सिंह ने गोली मारकर अपनी जान ले ली थी. इसके बाद, पहले से तय प्रक्रिया के अनुसार, उनके पार्थिक शरीर का मेडिकल करवाया गया,
कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाने के बाद पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए एक एस्कॉर्ट पार्टी के साथ सेना की व्यवस्था के अंतर्गत निवास स्थान पर ले जाया गया.
उनके गांव में अंतिम संस्कार करवाया गया. सेना अपने जवानों के बीच इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं करती है कि वे अग्निपथ योजना के अंतर्गत भर्ती हुए हैं.